शर्म इनको आती नहीं; यह कैसी राजनीति: वोटरों के पैर पड़ रहे थे पार्षद बनने के बाद रिसॉर्ट में कर रहे हैं ऐश, जनता पानी-बिजली, सड़क और कामों के लिए परेशान
ग्वालियर। नगरीय निकाय चुनाव में प्रचार के दौरान कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार गली-गली मोहल्ले में जाकर वोटरों के पैर छूकर जिताने की भीख माँग रहे थे, अब वे निर्वाचित होने के बाद एसी बस में यात्रा कर रिसॉर्ट में ऐश कर रहे हैं। यहाँ प्रत्येक वार्ड में लोग अपने कामों के लिए भटक कर परेशान हो चुके हैं, अब वह अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं कि क्या वादे उन्होंने किये थे और क्या ये निकले।ग्वालियर में राजनीति का सबसे गंदा खेल भाजपा ने शुरू किया अब इसका अनुसरण कांग्रेस ने भी करना शुरू कर दिया है।कांग्रेस का महापौर बन जाने के बाद भाजपा इस क़दर भयभीत हो गई है कि बस मैं सभी पार्षदों को भरकर हरियाणा के एक रिसॉर्ट में उन्हें ऐशो-आराम करा रही है, हो भी क्यों न प्रचार के दौरान थकावट और ऊर्जा की प्राप्ति के लिए यह भी करना ज़रूरी है।
राजनीति का इतना गंदा खेल इस समय ग्वालियर में देखने को मिल रहा है।सादगी और समर्पण की भावना रखने वाली पार्टियां अब करोड़ों रुपया चुनाव प्रचार में खर्च करने के बाद इन जीते हुए पार्षदों को रिसॉर्ट में ले जाकर मज़े कराने का काम कर रही है।
नगरीय निकाय चुनाव सम्पन्न होने के बाद भाजपा सभापति बनाने ख़रीद फ़रोख़्त का काम कर रही है।कांग्रेस के विधायक से भाजपा के नेताओं को इतना डर बैठ गया है कि उन्हें डर है कि सभापति भी कांग्रेस का न बन जाए।इसी इसी कवायद के चलते भाजपा के सभी पार्षद जिनकी संख्या और धीरे-धीरे बढ़ रही है वे हरियाणा के रिसॉर्ट में स्विमिंग पूल में गोते मारकर गिलास से गिलास टकरा रहे हैं। कांग्रेस ने भी अपने सभी पार्षदों को ओरछा में एक कांग्रेस नेता के होटल में ठहराया है ताकि कोई प्रलोभन में न आ सकें। चूंकि पाँच तारीख़ को सभापति का निर्वाचन होना है इसलिए दोनों मुख्य दल सावधानी बरत रहे है और इसका खामियाजा सभी 66 वार्डों की जनता को भुगतना पड़ रहा है।
पर्यावरण को लेकर सजग रहने वाले राज चड्ढा ने भी सोशल मीडिया फ़ेसबुक पर पोस्ट कर तंज कसा है कि भाजपा के नव निर्वाचित पार्षद हरियाणा के रिसोर्ट में हैं।इनमें वे भी होंगे जिनके घर में कूलर तक नहीं था।प्रगति और किसे कहते हैं?शपथ लेते ही ac बस से सीधे रिसोर्ट। यहां भी वे तभी तक अपने हैं जब तक कोई 5 स्टार होटल ले जाने वाला उनका अपहरण नहीं कर लेता।सवाल निष्ठाओं का नहीं सुविधाओं का है।संस्कारों का नहीं कीमत का है। जो जितनी ज्यादा बोली लगाएगा, पट्ठा उसका हो जायेगा।पंडित दीनदयाल जी की सादगी ने हजारों कार्यकर्ता तैयार कर दिए, जो गुड़ चने खाकर गांव गांव घूमते थे।आज होटलों से चलने वाला चुनाव प्रबंधन अपने कार्यकर्ताओं को उनके घरों से ही नहीं निकाल पाया है ।