अपने ही 3 बच्चों को कुएं में फेंकने वाली मां को आजीवन सज़ा, कोर्ट ने कहा-माता के समान कोई छाया नहीं है,लेकिन आरोपी महिला दया की पात्र नहीं
छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर जिले में अपने ही 3 बच्चों को कुएं में फेंकने वाली महिला को न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। महिला को पति ने विवाद के बाद धप्पड़ मार दिया था। महिला इससे इतना नाराज हो गई कि उसने अपने ही 3 अबोध बच्चों को कुंए में फेंक दिया। कोर्ट में मामले की सुनवाई डेढ़ वर्ष चली। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश नीलिमा सिंह बघेल ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मानवीयता को झकझोरने वाला कृत्य है। तीन छोटे-छोटे बच्चों की कुंए में फेंककर हत्या की गई है। अपराध की श्रेणी गंभीर है, इसलिए महिला दया की पात्र नहीं है। आजीवन कारावास ही सही होगा।
मिली जानकारी के अनुसार लखनपुर के ग्राम कटिंदा निवासी जमशेद अंसारी ने 7 अप्रैल 2020 को बोर खराब हो जाने को लेकर पत्नी शाहीन सुबैदा को फटकारा लगाई थी। इस दौरान पत्नी द्वारा कुछ कहने पर जमशेद ने उसे एक थप्पड़ मार दिया था। घटना के दूसरे दिन सुबह पति-पत्नी में फिर विवाद हुआ। इससे नाराज होकर शाहीन ने 6 वर्षीय खुशी उर्फ नगमा, 4 वर्षीय आशिक अंसारी व 2 वर्षीय आशिफ अंसारी को लेकर माजा तुंगी नाले के पास गई और तीनों बच्चों को कच्चे कुंए में फेंक दिया। कुंए में पानी उपर तक भरा हुआ था, जिसमें डूबकर तीनों बच्चों की मौत हो गई। महिला ने सबसे छोटे बच्चे के मृत शरीर को कुएं से निकाला और गांव के सरपंच के यहां जाकर अपने बच्चों को कुंए में फेंकने की जानकारी दी। उधर जमशेद को परिचितों ने जानकारी दी थी कि उसकी पत्नी ने बच्चों को कुंए में फेंककर मार डाला है। मामले में शाहिन सुबैदा को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
निर्णय में महाभारत के श्लोक का उल्लेख
न्यायाधीश नीलिमा सिंह ने बचाव पक्ष द्वारा सजा में रियायत की मांग पर महाभारत के एक श्लोक का उल्लेख अपने निर्णय में किया। न्यायाधीश ने कहा कि महाभारत में भी कहा गया है कि माता के समान कोई छाया नहीं है, कोई सहारा नहीं है, कोई रक्षक नहीं है और ना ही माता के समान कोई प्रिय चीज है, लेकिन उदारता का लाभ महिला को नहीं नहीं दिया जा सकता। महिला द्वारा 3 मासूम बच्चों को कुंए में फेंककर क्रूरता से हत्या की गई है। अपराध की श्रेणी गंभीर है, इसलिए महिला दया की पात्र नहीं है। आजीवन कारावास ही सही होगा। कोर्ट ने एक हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है।