मप्र: निकाय चुनाव से विस 2023 पर फोकस, भाजपा विकास तो कांग्रेस 15 माह के शासन के भरोसे चुनावी मैदान में
भोपाल।नगरीय निकाय चुनाव का घमासान अब शुरू हो गया है। भाजपा और कांग्रेस के चुनावी सूरमाओं ने नामांकन पत्र दाखिल करने के साथ ही प्रचार शुरू कर दिया है। भाजपा सभी 16 नगर निगमों पर अपना कब्जा बरकरार रखना चाहेगी, वहीं कांग्रेस जीतने के लिए जोर लगाएगी। इस बार के निकाय चुनाव दोनों पार्टियों के लिए अन्य चुनावों से अहम हैं, क्योंकि इसका असर मिशन 2023 पर पड़ेगा। इसलिए भाजपा विकास तो कांग्रेस 15 माह के शासन के भरोसे चुनावी मैदान में सक्रिय हैं।
नगरीय निकाय चुनावों को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों में उत्साह है। दोनों पार्टियां अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही हैं। सत्तारूढ़ भाजपा ने निकाय क्षेत्रों में रह रहे लोगों के लिए कई योजनाएं शुरू की है। इससे पार्टी को उम्मीद है कि उसका लाभ उसे मिलेगा। वहीं कांग्रेस खराब सड़क, महंगी बिजली व भाजपा की असफलता पर फोकस कर मैदान में हैं। दोनों पार्टियों ने नगर निगम महापौर की 16 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चेहरे को सामने रखकर भाजपा नगरीय निकाय चुनाव लड़ रही है, तो कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ को चुनाव प्रचार में आगे किया है।
शिवराज के जादू पर भरोसा
भाजपा को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार की योजनाओं पर पूरा भरोसा है। पार्टी को भरोसा है की अन्य चुनावों की तरह निकाय चुनाव में भी शिवराज का जादू चलेगा। असंतुष्टों और नाराज नेताओं को भी मनाने में कमोबेश सफलता मिली है लेकिन कहीं कसर न रह जाए, इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सहारा लेने की पहल की गई। है। चुनाव वाले क्षेत्रों के लाभार्थियों से आत्मीय संवाद कर शिवराज ने प्रचार की नई शैली विकसित की है। शिवराज के प्रति उनकी भावना और सराहना भाजपा के वोट बैंक को मजबूत करने में सहायक साबित हो रही है। शिवराज के इसी जादू से भाजपा किला फतह करने का सपना संजोए है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राज्य में अब तक 24 लाख आवास निर्मित किए गए हैं। इस योजना के लाभार्थियों को गृह प्रवेश कराने के दौरान कई बार शिवराज ने लाभार्थियों से बातचीत भी की है। इस बार भी निकाय चुनाव वाले क्षेत्रों के लाभार्थियों से संवाद को पार्टी कार्यकर्ता आगे बढ़ा रहे हैं। वे व मंत्री भी उन आवासों में जाकर माहौल बनाएंगे।
योजनाओं के सहारे सभी वर्ग तक पहुंच
चुनाव वाले सभी निकाय क्षेत्रों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अति पिछड़े मतदाताओं की बहुतायत है। जातीय समीकरण दुरुस्त करने की लंबी कवायद कर चुकी भाजपा इस वर्ग को अपना बनाने के लिए सरकारी योजनाओं के सहारे है। प्रधानमंत्री आवास, उज्ज्वला, बीमा योजना से लेकर पीएम स्वनिधि, स्ट्रीट वेंडर योजना में आने वाले लाभार्थी भाजपा की नैया पार कराने के लिए पतवार बन सकते हैं। शिवराज ने अपने संवाद के जरिये इसी वर्ग के दिल को छुआ है। बात भले ही वह गिने-चुने लोगों से करें, लेकिन घर-घर तक होने वाले प्रसारण के जरिये वह आमजन तक अपनी पहुंच बना रहे हैं। दरअसल यह मूल रूप से प्रधानमंत्री मोदी की शैली है, जिससे भाजपा की प्रचार टीम प्रतिद्वंद्वी दल को पीछे छोड़ती नजर आ रही है। स्वनिधि (स्ट्रीट वेंडर) जैसी योजनाओं के लाभार्थी सभी जातियों के हैं। गरीबी से हर दिन जंग लडऩे वाले ठेला-खोमचा पर सब्जी, झाडू, समोसा जैसी चीजें बेचकर अपने परिवार का पेट पालते हैं लेकिन प्रतिदिन उनका संपर्क आमजन से होता है। प्रदेश में अब तक पांच लाख आठ हजार रेहड़ी-पटरी वालों को दस-दस हजार रुपये दिलाया गया है।
कांग्रेस ’15 साल बनाम 15 महीनेÓ सहारे
सत्ता का सेमीफाइनल माने जा रहे नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस पूरी ताकत के साथ जुटी हुई है। ऊपरी तौर पर पार्टी के सभी दिग्गज नेता एक नजर आ रहे हैं। नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस 15 साल बनाम 15 महीने के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी निकाय चुनाव में महंगाई से लेकर आरक्षण को तो मुद्दा बनाएगी ही, उसका फोक्स कमल नाथ की 15 महीने की तत्कालीन सरकार पर रहेगा। पार्टी नेताओं ने 15 महीने के कार्यकाल में हुए बदलाव को लेकर अलग से प्रकाशन सामग्री तैयार की है, जिसे इंटरनेट मीडिया के जरिये लोगों तक पहुंचाया जाएगा। अगले साल होने वाले विधानसभा से पहले भाजपा और कांग्रेस निकाय चुनाव में आमने-सामने हैं। भाजपा जहां अपनी सरकार की उपलब्धियों को लेकर जनता के सामने जा रही है, वहीं कांग्रेस कमलनाथ के कार्यकाल की उपलब्धियों को जनता के सामने रखेगी। इनमें माफिया के खिलाफ चलाए गए अभियान से लेकर पार्टी शहरी मतदाताओं को यह बताएगी कि उसके राज में चलाए गए मिलावटखोरों के खिलाफ अभियान शुद्ध के लिए युद्ध चलाया गया। उसके बेहतर परिणाम भी सामने आए थे। इसी तरह सुशासन के लिए कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए प्रयास से कानून व्यवस्था में किस तरह का बदलाव आया था, इन सभी को मुद्दा बनाया जाएगा। पार्टी अपने घोषणा पत्र में भी शहर के विकास का खाका पेश करेगी।
कांग्रेस के सभी दिग्गजों को जिम्मेदारी
कांग्रेस में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ प्रदेशभर में चुनाव गतिविधियों पर नजर रखने के साथ समन्वय का काम खुद संभाल रहे हैं। ग्वालियर-चंबल की कमान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह व विस में नेता प्रतिपक्ष डा. गोविद सिंह संभालेंगे। कमल नाथ पार्टी के स्टार प्रचारक के साथ समन्वयक की भूमिका भी निभा रहे हैं। महापौर प्रत्याशियों के प्रचार में वे सक्रिय रहेंगे। वहीं विध्य-महाकोशल क्षेत्र राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को सौंपा गया है। मालवा-निमाड़ की जिम्मेदारी पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया और अरुण यादव और मध्य क्षेत्र की जिम्मेदारी पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी को सौंपी गई है। यहां पर्दे के पीछे प्रवीण कक्कड़ व्यवस्थाएं संभाल रहे हैं।