मप्र में 32 मुस्लिम और 250 ईसाईयों की हुई घर वापसी, हिन्दू धर्म में आकर ली आज़ादी की साँस
भोपाल। मध्यप्रदेश में 32 मुस्लिम और 250 ईसाईयों ने घर वापसी की है। इनमें झाबुआ और रतलाम जिले के परिवार शामिल है।जानकारी अनुसार, कुछ दिन पहले पेटलावद क्षेत्र में पंडित कमल किशोर नागर की कथा के बाद गांवों में धर्म जागरण प्रभाव दिखाई दिया। झाबुआ जिले के पेटलावद क्षेत्र के गुलरीपाड़ा गांव में 250 लोगों ने 56 साल बाद ईसाई धर्म छोड़कर सनातन धर्म में वापसी की तो वहीं रतलाम जिले के आंबा गांव में सात मुस्लिम परिवारों के 32 लोगों ने तीन पीढ़ी के बाद पुन: सनातन धर्म अपनाकर घर वापसी की। उन्होंने शिव मंदिर में पूजा कर कहा कि कई पीढ़ी पहले पूर्वजों द्वारा लिए निर्णय में सुधार कर यह कदम उठाया है। यह बहुत सुखद है। पंडित नागर बुधवार को गुलरीपाड़ा में श्रीराम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पहुंचे तो वहां 250 लोग पुन: सनातन धर्म में लौट आए। उनका कहना है कि बीते वर्षों में किसी कारण से वे ईसाई बन गए थे, लेकिन अब घर वापसी सुखद अनुभूति है। सनातन धर्म में लौटने वाले मुस्लिमों ने शुक्रवार सुबह रतलाम के आंबा गांव में भीमनाथ महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना की। स्वामी आनंदगिरी महाराज की मौजूदगी में सभी ने गोमूत्र से स्नान कर जनेऊ धारण किया। गुरुवार को उनकी घर वापसी के पहले सनातन धर्म अपनाने का शपथ पत्र भी तैयार करवाया गया था। सालों से घुमंतू रहकर जड़ी-बूटियां बेचने वाले रतलाम जिले के गांव आंबा निवासी 55 वर्षीय मोहम्मद शाह व उनके परिवार व रिश्तेदारों ने हिंदू धर्म अपनाने के बाद शुक्रवार सुबह पूजा-अर्चना कर हर-हर महादेव के जयघोष लगाए। मोहम्मद शाह अब राम सिंह के नाम से पहचाने जाएंगे। उन्होंने बताया कि उनकी तीन पीढ़ियां मुस्लिम धर्म को मानती आ रही थीं। सनातन धर्म में वापसी करने वालों का कहना है कि ऐसा कर उन्होंने ईसाई बनने की 56 साल पुरानी भूल सुधारी है। अप्रैल में बेकल्दा गांव में भागवत कथा हुई थी। बदलाव की पहल पं. कमल किशोर नागर के धर्म जागरण अभियान से संभव हो पाई। गुलरीपाड़ा में सनातन धर्म को लेकर उत्साह जागा। यहां मात्र सवा महीने में राम दरबार मंदिर का निर्माण हुआ। बुधवार को प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में 250 ग्रामीणों की घर वापसी हुई। वे सभी धार्मिक आयोजनों में भी शामिल हुए।