मप्र में सत्ता वापसी के लिए सोशल इंजीनियरिंग को हथियार बनाएगी कांग्रेस, चुनावी रणनीति कर रहे तैयार
भोपाल। 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सोशल इंजीनियरिंग को हथियार बनाएगी। पार्टी सामाजिक समीकरणों का अध्ययन कराकर चुनावी रणनीति बनाएगी। इसके लिए कांग्रेस ने दो पूर्व प्रदेश अध्यक्षों को सामाजिक समीकरण और प्रचार की कार्ययोजना बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने जिलेवार नेताओं को जिम्मेदारी सौंपनी शुरू कर दी है। दरअसल सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस कोई कसर बाकी नहीं छोडऩा चाहती है। अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसके लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने वरिष्ठ नेताओं को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंप दी है।
सामाजिक समीकरणों को साधने के लिए व्यापक रणनीति बनाने का दारोमदार पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव को सौंपा गया है। वे सभी प्रमुख सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से चर्चा करके अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे। वहीं, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी भाजपा को घेरने के लिए चुनाव प्रचार अभियान की कार्ययोजना तैयार करेंगे। प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 82 विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। 148 अनारक्षित सीटों पर सामाजिक समीकरणों को देखते हुए प्रत्याशी तय किए जाएंगे।
हर वर्ग को साधने की कवायद
दरअसल, पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को मुद्दा बनाएगी। इसे मद्देनजर रखते हुए प्रत्याशी चयन भी बहुत महत्वपूर्ण होगा लेकिन इसका असर अन्य समाजों पर न पड़े, यह देखना भी जरूरी है। यही वजह है कि पहली बार कांग्रेस ने सामाजिक समीकरणों का अध्ययन कराने का निर्णय लिया है। अरुण यादव पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और उनका पूरे प्रदेश में नेटवर्क है, इसलिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने उन्हें विभिन्न् सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से चर्चा करके उनकी अपेक्षाएं संबंधी रिपोर्ट बनाने का दायित्व सौंपा है। वहीं, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी को चुनाव प्रचार अभियान की रूपरेखा तय करने का जिम्मा दिया है। वे भाजपा सरकार को घेरने की रणनीति बनाएंगे। इसमें प्रमुख मुद्दे, उन्हें उठाने के तरीके, भाजपा के आरोपों पर पलटवार जैसे विषय शामिल रहेंगे।
समाजों को एकजुट करने में जुटी कांग्रेस
कांग्रेस विभिन्न समाजों को पार्टी के पक्ष में एकजुट करने में जुटी हुई है। पहली बार समाज समन्वय प्रकोष्ठ गठित किया गया है। इसके तहत राज्य स्तरीय सम्मेलन का सिलसिला भी प्रदेश कांग्रेस ने प्रारंभ कर दिया है। प्रकोष्ठों के प्रभारी जेपी धनोपिया का कहना है कि राजनीतिक तौर पर जो समाज पिछड़े हुए हैं, उन्हें मुख्यधारा में लाने का काम प्रकोष्ठ के माध्यम से किया जा रहा है। पार्टी ने तय किया है कि इन्हें हर माध्यम से उचित स्थान दिया जाएगा।