अपराधी और देशद्रोही तैयार करने का केंद्र न बनें जेल, कई प्रदेशों में जेल मैनुअल 2016 लागू नहीं:गृह मंत्रालय ने किया आगाह
जेलों से अपराधी और देशद्रोही न तैयार हों, बल्कि यहां रखे बंदियों को प्रेरित कर अपराध छोड़ने व जिम्मेदार नागरिक बनने में मदद मिले। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को इसके लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया। आदर्श जेल मैनुअल 2016 भी कई राज्यों में अब तक लागू नहीं हुई, इस पर भी मंत्रालय ने नाराजगी जताई। सोमवार को जारी इन आदेश में कई सुझाव भी दिए गए।
- बंदियों की सेहत और मनोचिकित्सकीय मूल्यांकन : जेल की डिस्पेंसरी व अस्पताल आदि दुरुस्त रखें ताकि बंदियों को इलाज के लिए जेल परिसर से बाहर ले जाने की जरूरत कम रहे। उनका मनोचिकित्सकीय मूल्यांकन करवाएं ताकि वे अवसाद से बाहर निकल सकारात्मक जीवन जिएं। विशेषज्ञों की मदद लें, जिससे बंदियों में तनाव व व्यवहार संबंधी समस्याओं का अध्ययन हो और इलाज देने में मदद मिले।
- गैर-आदतन अपराधियों को अलग रखें : इससे वे आदतन अपराधियों की संगत से नकारात्मक नहीं बनेंगे। पहली बार अपराध करने वालों को नई चीजें और कौशल सीखने में मदद करें।
- भ्रष्टाचार रोकें, 2 साल में स्टाफ के तबादले करें : जेल के स्टाफ को हर 2 साल में एक जेल से दूसरी जेल में स्थानांतरित करें, एक ही जेल के भीतर ही स्थानांतरण न करें। स्टाफ का जेल के अंदर-बाहर आवागमन सीमित रखें। वे कब बाहर गए व कब लौटे, इसका पूरा रिकॉर्ड रखें। उन्हें बंदियों को सुधारने के तरीकों का प्रशिक्षण भी दिलवाएं। इसके लिए राज्य में उचित संस्थान बनाए जा सकते हैं।
- कोई जेल में फोन न फेंके, इतनी दूर हो दीवारें : जेल वार्ड की दीवार और परिसर की बाहरी दीवार के बीच कम से कम इतनी दूरी रखें कि कोई प्रतिबंधित वस्तु जैसे मोबाइल फोन आदि भीतर न फेंके। दीवारों का नियमित परीक्षण भी करें। फोन का अवैध उपयोग रोकने के लिए आधुनिक जैमर लगवाएं।
- …और एनजीओ की भी निगरानी : बंदियों से जुड़े काम कर रहे एनजीओ की पृष्ठभूमि समय-समय पर जांचें। जेल में बंदी क्या पढ़ रहे हैं, यह भी देखें। लाइब्रेरी में नकारात्मक प्रभाव डालने वाला साहित्य न रखें।