पति पर पत्नी ने लगाया भरण-पोषण का दावा;कुटुंब न्यायालय ग्वालियर ने किया खारिज, 2013 से पति हो रहा था परेशान,संघर्ष समूह ने दिलाई राहत

 

पत्नी ने पति का त्याग किया है इसलिए वह भरण पोषण की पात्र नहीं है: कोर्ट
राजेश शुक्ला। आवेदिका स्वयं का भरण पोषण करने में सक्षम है और वह बिना किसी कारण से पति का परित्याग किए हुए हैं उसने न्यायालय को अलग से रहने का जो कारण बताया है वह विवेचना के उपरांत मिथ्या साबित हुआ है।

उक्त टिप्पणी कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश जीएस सलूजा ने भरण पोषण के मामले में प्रकट की। वर्षों से चल रहे मामले में कोर्ट ने कहा कि आवेदिका का अपने पति से किसी भी प्रकार से कोई भी भरण पोषण करने की पात्र नहीं है अंतः आवेदिका का आवेदन धारा 125 दंड प्रधान संहिता स्वीकार स्वीकार योग्य ना होने से निरस्त किया जाता है।

उक्त उक्त मामले में जब कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया तो सालों से ग्वालियर न्यायालय के चक्कर काट कर परेशान हो चुके पति की आंखों से आंसू निकल आए। पीड़ित राजेश गुप्ता ने इस लंबी लड़ाई मैं अपना समय धन के साथ-साथ मानसिक परेशानी से भी सामना किया लेकिन वह हारे नहीं। इस पूरे प्रकरण में राजेश गुप्ता ने संघर्ष समूह को धन्यवाद प्रेषित किया।

संघर्ष  द्वारा मिली जानकारी के अनुसार ग्वालियर कुटुंब न्यायालय ग्वालियर में एक महिला के द्वारा जो स्वयं को दिल्ली व ग्वालियर का निवासी दर्शित करती थी के द्वारा अपने पति के विरुद्ध कुटुंब न्यायालय ग्वालियर में भरण पोषण हेतु एक दावा प्रस्तुत किया गया था।

महिला का पति कंपनी सेक्रेट्रीएट (सीएस) का कार्य शहर फरीदाबाद में करता है और उसके माता पिता भी शहर फरीदाबाद में निवास करते हैं ।कोर्ट के द्वारा स्वयं महिला के द्वारा क्रूरता किया जाना, बिना कारण अलग रहना व मिथ्या आधार पर दावा प्रस्तुत करना पाया गया जिसके आधार पर महिला के भरण पोषण के दावे को निरस्त कर दिया गया।

यह है मामला

महिला के द्वारा वर्ष 2013 में अपने पति व ससुरालजनों के विरुद्ध दहेज प्रताड़ना की शिकायत पुलिस थाना हजीरा में की गई थी जिसमें जांच के उपरांत पति के विरुद्ध दावा न्यायलय में प्रस्तुत किया गया ।वर्ष 2018 तक आरोपी पति मुकदमे में पैरवी हेतु हर तारीख पर फरीदाबाद से ग्वालियर आता जाता था परंतु उसके प्रकरणों में निराकरण में समय लग रहा था ।

इसी दौरान आरोपी पीड़ित पति का संपर्क संघर्ष समूह ग्वालियर से होता है एवं उसके उपरांत उनके समस्त प्रकरण समूह के मुख्य कानूनी सलाहकार को सौंप दिए जाते है संघर्षों समूह के अधिवक्ता के द्वारा प्रकरण में महिला से लगभग 29 पन्नों का ब्यान होता है ।जिसमें संघर्ष समूह के अधिवक्ता के द्वारा महिला के आचरण, व्यवहार और नियत को अन्य तथ्यों के साथ न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करवाया गया।

समस्त तथ्यों के अवलोकन के उपरांत कुटुंब न्यायालय ग्वालियर के द्वारा अपने 24 पन्नों के आदेश में महिला के द्वारा लगाए समस्त आरोपों को ना सिर्फ खारिज किया गया बल्कि यह मत भी दर्शित किया पति के द्वारा कभी अपनी पत्नी से दहेज की मांग तक नहीं की गई है ।

गौर करने वाली बात है कि दहेज का मुकदमा अभी भी विचाराधीन है जिसमें उक्त महिला व उसके पिता के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट लंबे समय से लंबित हैं।

महिला के द्वारा अपने पति के विरुद्ध दायर अलग घरेलू हिंसा दावा न्यायालय के द्वारा भी पहले से निरस्त किया जा चुका है एवं उनके एकमात्र पुत्र की कस्टडी भी न्यायालय के द्वारा आरोपी पति को प्रदान की गई है।

“मेरे ऊपर जब मुकदमा दर्ज हुआ था तो मैं काफी परेशान हुआ था और वर्ष 2018 तक परेशान रहा जब मेरा संपर्क संघर्ष समूह से हुआ तो उनके द्वारा बहुत ही बारीकी के साथ सारे तथ्यों को न्यायालय के सामने रखा गया जिसकी वजह से मेरे विरुद्ध दायर भरण पोषण का दावा खारिज हुआ पूर्व में सभी कहते थे कि भरण-पोषण तो देना ही पड़ेगा क्योंकि मैं कंपनी सेक्रेटरीएट का काम करता हूं जिसमे मेरे अधीन कई सीएकाम करते हैं ।यह मेरे लिए एक अविश्वसनीय घटना है जिसके लिए मैं संघर्ष समूह का सदैव आभारी रहूंगा।“

(राजेश गुप्ता आरोपी पति (सीएस) फरीदाबाद हरियाणा)

बहुत सी महिलाएं कानूनों का दुरुपयोग करती हैं,जिसके चलते ही संघर्ष समूह का गठन हुआ है और हमें खुशी है कि हम लोग अभी तक कई लोगों को राहत दिलवा चुके हैं और आगे भी करते रहेंगे “

(प्रदुमन सिंह मुख्य कानूनी सलाहकार संघर्ष समूह )

हेल्प लाइन नंबर 7879498498