कोरोना पीड़ितों को मुआवजा देकर राज्य कोई चैरिटी नहीं कर रहे, यह उनका कर्तव्य: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि कोविड -19 पीड़ितों के परिजनों को अनुग्रह राशि (मुआवजा) देकर राज्य कोई दान नहीं दे रहे हैं। कल्याणकारी राज्य होने के नाते ऐसा करना उनका कर्तव्य है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि मुआवजे का आवेदन प्राप्त होने के 10 दिनों के भीतर उनका निपटारा किया जाए। जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने ये टिप्पणी महाराष्ट्र सहित कई राज्यों द्वारा विभिन्न आधारों पर मुआवजे को नकारने की बात सामने आने पर की।

पीठ ने इस बात पर नाराजगी जताई कि उसके पूर्व आदेश में स्पष्टता होने के बावजूद राज्यों द्वारा कई मामलों में कमियां निकाल कर मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। पीठ ने दोहराया कि तकनीकी आधार पर पीड़ितों को मुआवजे से इनकार नहीं किया जा सकता। जस्टिस शाह ने कहा, राज्यों को यह नहीं सोचना चाहिए कि वह कोई दान दे रहे हैं। कल्याणकारी राष्ट्र होने के नाते ऐसा करना उनका दायित्व है।

महाराष्ट्र सरकार ने ऑफलाइन आवेदनों पर विचार नहीं किया
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि महाराष्ट्र ने उन लोगों के आवेदनों पर विचार करने से इनकार कर दिया है जिन्होंने ऑफलाइन आवेदन किया था। पीठ ने महाराष्ट्र की ओर से पेश वकील से कहा, यह क्या है? आवेदन ऑफलाइन हो या ऑनलाइन, सभी पर विचार किया जाना चाहिए। कई लोग हो सकते हैं जो ऑनलाइन आवेदन करने में सक्षम न हो।

कर्नाटक सरकार के चेक बाउंस हो गए
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी पाया कि कर्नाटक सरकार द्वारा कुछ पीड़ितों को दिए गए मुवावजे के चेक बाउंस हो गए हैं। पीठ ने इस पर कड़ा एतराज जताया। पीठ ने इस बात पर हैरानी जताई कि सरकार के चेक कैसे बाउंस हो गए। कोर्ट ने कहा, यह स्थिति ठीक नहीं है। पीठ ने राज्य सरकार के वकील से कहा, हम कोई आदेश पारित नहीं कर रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए।

नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए कहा
सुनवाई की शुरुआत में पीठ ने कहा कि कई राज्यों द्वारा दायर किए गए हलफनामे में सिर्फ आंकड़े हैं,  पीड़ितों का विवरण नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से कहा है कि वे संबंधित विधिक सेवा अथॉरिटी को एक हफ्ते के भीतर पूरा विवरण(अनाथ हुए बच्चों की जानकारी सहित) दें। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए कहा जो खासतौर पर विधिक सेवा अथॉरिटी के साथ समन्वय कर यह सुनिश्चित करेंगे कि पीड़ितों को आदेश के मुताबिक राहत मिले।