एलजीबीटीआईक्यू समुदाय के सदस्यों के जबरन लिंग परिवर्तन पर कड़ी कार्रवाई की जाए: केरल हाईकोर्ट
उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि चिकित्सीय दृष्टि से लिंग-परिवर्तन उपचार संभव हो तो उसके लिए दिशानिर्देश जरूरी है तथा केरल सरकार इस पर गौर करे एवं जरूरी होने पर विषय का अध्ययन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करे.
जस्टिस पीवी कुन्हिकृष्णन ने कहा, ‘अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर प्रथम प्रतिवादी पांच महीने में दिशानिर्देश तैयार कर उसे अदालत में पेश करे.’
उच्च न्यायालय ने इस मामले में अब 18 मई, 2022 को आगे सुनवाई करेगा. अदालत ने कहा कि अगली तारीख पर सरकार दिशानिर्देश उसके सामने पेश करे.
अदालत मलयाली एलजीबीटीआईक्यू समुदाय के क्वीराला नामक संगठन और लिंग-परिवर्तन से गुजरे एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही है. इस व्यक्ति ने उसका जबरन लिंग-परिवर्तन किए जाने का आरोप लगाया है.
याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह एलजीबीटीआईक्यू समुदाय से जुड़े लोगों का किसी भी प्रकार का जबरन लिंग परिवर्तन उपचार को ‘अवैध, असंवैधानिक एवं मौलिक अधिकारों का उल्लंघन’ घोषित करे.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि चिकित्सकों के कहने पर जबरन लिंग परिवर्तन किया जाता है और यह उनके समुदाय के सदस्यों के लिए कई शारीरिक समस्याएं पैदा करता है, क्योंकि इस तरह के परिवर्तन को निर्धारित करने वाले कोई दिशानिर्देश नहीं हैं.
राज्य सरकार ने दिशानिर्देश नहीं होने की बात मानी, लेकिन कहा कि उसे लिंग-परिवर्तन की कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है जैसा कि याचिका में आरोप लगाया गया है. उसने अदालत से कहा कि यदि जबरन लिंग-परिवर्तन किया जाता है तो वह अवैध है तथा इस संबंध में उपयुक्त कदम उठाए जाएंगे.
दोनों पक्षों कोसुनने के बाद जस्टिस कुन्हिकृष्णन ने कहा, ‘यदि जबरन लिंग परिवर्तन किया जाता है जैसा कि याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है, तो कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. यह ऐसा मामला है जिस पर प्रतिवादी नंबर एक को गौर करने की जरूरत है. मेरे अनुसार लिंग परिवर्तन, यदि चिकित्सा दृष्टि से संभव है, तो उस संबंध में एक दिशानिर्देश जरूरी है.’
अदालत ने आगे कहा कि दिशानिर्देशों को अंतिम रूप देने से पहले सरकार द्वारा क्वीराला के प्रतिनिधि के साथ-साथ अन्य हितधारकों को भी सुना जाना चाहिए.
याचिका में जबरन लिंग परिवर्तन को अवैध घोषित करने के अलावा अदालत से राज्य सरकार को जबरन लिंग परिवर्तन चिकित्सा पर प्रतिबंध लगाने के लिए आवश्यक उपाय करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया गया है, जो किसी व्यक्ति के यौन झुकाव (Sexual Orientation), लिंग पहचान (Gender Identity) और लिंग अभिव्यक्ति (Gender Expression) को बदलने की कोशिश करने की हानिकारक और व्यापक रूप से बदनाम प्रथा है और राज्य के भीतर अस्पतालों, चिकित्सकों, स्वास्थ्य पेशेवरों और स्वतंत्र क्लीनिकों द्वारा किया जाता है.
याचिका में राज्य को एक मानसिक स्वास्थ्य दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है, जिससे चिकित्सकों या मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा किसी भी प्रकार की लिंग परिवर्तन चिकित्सा अवैध हो.
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