भारत सरकार की योजनाओं पर अमल में मध्यप्रदेश अग्रणी

मध्यप्रदेश देर से ही सही अपने गठन के समय बूझी गई संभावनाओं को साकार करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। खासतौर से पिछले डेढ़ दशक का अरसा इस बात का गवाह रहा है, कि मध्यप्रदेश विकास के पथ पर अब आगे ही आगे है। सुविचारित सोच, सुचिंतित नीतियों, फैसलों और प्रेरणादायी नेतृत्व ने सरकार की नीति और नीयत के फर्क को मिटाकर सच्चे अर्थों में प्रदेश के विकास और लोगों की बेहतरी के कामों की तस्वीर में नये रंग भर दिये हैं। आज मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के नेतृत्व में न केवल अपनी बल्कि भारत सरकार की भी लोक कल्याणकारी योजनाओं, कार्यक्रमों को अमली जामा पहनाने में अग्रणी बनकर उभरा है। मध्यप्रदेश की इन्हीं उपलब्धियों को देखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्यप्रदेश को भारत की अर्थ-व्यवस्था की ड्रायविंग फोर्स बनने की पूरी क्षमता वाला बताया है।

भारत सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश के अग्रणी बनने के कुछ उदाहरण हम यहाँ पाठकों से शेयर कर रहे हैं।

स्वामित्व योजना : योजना में आबादी क्षेत्र के भू-अभिलेख तैयार कर ग्रामीणों को भूमि-स्वामी हक प्रदान करने में मध्यप्रदेश अग्रणी है। इसी साल 06 अक्टूबर को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश के 19 जिलों के 3 हजार ग्रामों के 1 लाख 71 हजार हितग्राहियों को अधिकार अभिलेख वितरित किए। प्रदेश में अब तक 3 हजार 800 से अधिक गाँवों में 2 लाख 71 हजार अधिकार अभिलेख वितरित किए जा चुके हैं।

एनीमिया मुक्त भारत : एनीमिया मुक्त भारत अभियान में 64.1 स्कोर के साथ मध्यप्रदेश ने देश में पहला स्थान प्राप्त किया है।

आयुष्मान भारत योजना : इस योजना के कार्ड जनरेशन में मध्यप्रदेश पूरे देश में प्रथम है। प्रदेश में अब तक 2 करोड़ 57 लाख 44 हजार से अधिक कार्ड बनाये जा चुके हैं।

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना : इस योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। अब तक 25 लाख 36 हजार 917 हितग्राहियों को लगभग 1 हजार 84 रूपए से अधिक की सहायता प्रदान की जा चुकी है।

जल जीवन मिशन : एक करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवार वाले राज्यों में मिशन की इस साल की भौतिक प्रगति में मध्यप्रदेश का, देश में चौथा स्थान है। मध्यप्रदेश देश का अकेला राज्य है जहाँ सभी जिला स्तरीय पेयजल परीक्षण प्रयोगशालाएँ एन.ए.बी.एल. प्रमाणित हैं। मिशन के जरिये प्रदेश में 1 करोड़ 22 लाख घरों में से 42 लाख 98 हजार घरों में नल कनेक्शन हो गये हैं।

कृषि अधोसंरचना निधि : इस निधि के उपयोग में मध्यप्रदेश, देश में पहले स्थान पर है। अब तक 805 करोड़ रूपए से अधिक की ऋण राशि प्रदेश में हितग्राहियों को कृषि अधोसंरचा के विकास के लिये प्रदाय जारी कर दी गई है।

नगरीय विकास : भारत सरकार के स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में प्रदेश ने एक पायदान की छलांग लगाकर देश में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश के 369 शहर ओडीएफ+ और ओडीएफ++ घोषित किए जा चुके हैं। उल्लेखनीय यह भी है कि इन्दौर नगर देश का पहला नगर है जिसे भारत सरकार द्वारा वॉटर प्लस अवार्ड से सम्मानित किया गया है। इन्दौर को शहरी यातायात में अभिनव वित्तीय प्रबंधन के लिए भारत सरकार के प्रतिष्ठित अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस से भी सम्मानित किया गया है। स्मार्ट सिटी मिशन में मध्यप्रदेश के पाँच शहर क्रमश: इन्दौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और सागर को उत्कृष्ट कार्यों के आधार पर कुल 11 अवार्ड प्राप्त हुए हैं तथा प्रदेश को राज्यों की श्रेणी में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ है। स्मार्ट सिटी मिशन में ही भारत सरकार द्वारा 100 चयनित शहरों की वर्तमान रैंकिंग में देश के टॉप तीन शहरों में मध्यप्रदेश के दो शहर भोपाल और इन्दौर शामिल किए गए हैं। म्यूनिस्पल परफॉर्मेंस इंडेक्स में 10 लाख से अधिक जनसंख्या के शहरों में देश के टॉप तीन शहर में से दो मध्यप्रदेश के शहर इन्दौर और भोपाल हैं। ईज़ ऑफ लिविंग इंडेक्स में प्रदेश का एक शहर इन्दौर देश के शीर्ष 10 शहरों में शामिल हुआ है।

प्रधानमंत्री स्व-निधि योजना : इस योजना में भारत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य के अनुसार 4 लाख 5 हजार पथ-विक्रेताओं को शत-प्रतिशत ब्याज मुक्त ऋण देकर मध्यप्रदेश देश में अव्वल है।

मनरेगा : पिछले वित्त वर्ष में कोरोना काल में 1 करोड़ 6 लाख से अधिक जरूरतमंद लोगों को मनरेगा में रोज़गार दिलाकर मध्यप्रदेश, देश में अग्रणी रहा है। इस अवधि में मजदूरों के खातों में रिकॉर्ड 6 हजार करोड़ रूपए पहुँचाये गये हैं। इस वित्त वर्ष में अभी तक 79 लाख 62 हजार श्रमिकों को रोज़गार दिया जाकर 3 हजार 924 करोड़ रूपए से अधिक की राशि मजदूरों के खातों में पहुँचाई गई है। इसके अलावा अनुसूचित जनजाति परिवारों को मनरेगा से रोज़गार दिलाने में भी मध्यप्रदेश, देश में पहले स्थान पर है। जनजातीय श्रमिकों द्वारा 6 करोड़ 89 लाख मानव दिवस सृजित किए जाकर उनके खातों में 1 हजार 203 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया है। मनरेगा योजना प्रारम्भ से अब तक 54 लाख 30 हजार स्थाई परिसंपत्तियों का सृजन कर मध्यप्रदेश, देश में चौथे स्थान पर है।

स्व-सहायता समूहों का सशक्तीकरण : मध्यप्रदेश विगत 18 माह में 36 हजार से अधिक स्व-सहायता समूहों को 2 हजार 125 करोड़ रूपये से अधिक के बैंक ऋण स्वीकृत कराकर देश में प्रथम स्थान पर है।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना : इस योजना में सड़कों की लम्बाई की उपलब्धि में मध्यप्रदेश, पिछले 3 वर्षों से देश के उच्चतम 7 राज्यों की सूची में शामिल है। साथ ही सड़कों की गुणवत्ता में भी प्रदेश, पिछले 3 वर्षों से देश में प्रथम है।

प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) : आवास पूर्णता के प्रतिशत के आधार पर प्रदेश, देश में दूसरे और आवासों की संख्या के आधार पर तीसरे स्थान पर है।

स्वच्छ भारत मिशन : प्रदेश के 637 गाँव अभी तक ओ.डी.एफ. प्लस घोषित हो चुके हैं। इस मामले में मध्यप्रदेश, देश में दूसरे स्थान पर है।

ट्रान्सजेण्डर पहचान-पत्र : ट्रान्सजेण्डरों को पहचान-पत्र जारी करने वाला मध्यप्रदेश, देश का पहला राज्य है। अब तक 364 पहचान-पत्र जारी किए जा चुके हैं।

दिव्यांगजन पहचान-पत्र : इस कार्यक्रम के कुल 6 लाख 60 हजार के लक्ष्य के विरूद्ध अब तक मध्यप्रदेश 6 लाख 63 हजार कार्ड बनाकर जारी कर देश में दूसरे स्थान पर है।

प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना : वर्तमान में देश में योजना के तहत संचालित प्रगतिरत/ पूर्ण कार्यों की सर्वाधिक संख्या 2 हजार से अधिक मध्यप्रदेश में है। इस तरह प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है।

सौर ऊर्जा में मध्यप्रदेश अग्रणी : मध्यप्रदेश में निरंतर किए जा रहे नवाचारों और नई तकनीक के बल पर मात्र 2 रूपए 14 पैसे यूनिट सौर ऊर्जा टैरिफ प्रदान किया जा रहा है।

कोविड टीकाकरण के प्रथम डोज में मध्यप्रदेश प्रथम : कोविड-19 वैक्सीन के टीकाकरण में 4 लाख से अधिक गर्भवती महिलाओं का प्रथम एवं द्वितीय डोज लगाकर इस श्रेणी में भी प्रदेश, देश में प्रथम है।

कौशल विकास : आई.टी.आई. ग्रेडिंग में मध्यप्रदेश, पूरे देश में तीसरे स्थान पर है। इसी तरह प्रदेश देश का पहला राज्य है जहाँ वर्ष 2020 में स्टेनो प्रायोगिक एन.सी.वी.टी./ एस.सी.वी.टी. ऑनलाईन परीक्षा सफलतापूर्वक आयोजित कराई गई।

ईज़ ऑफ डूईंग बिजनेस : इसके अंतर्गत किए गए प्रक्रियात्मक सुधारों के फलस्वरूप वर्ष 2019 में प्रदेश को देश में चौथी रैंकिंग प्रदान की गई है। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा ईज़ ऑफ डूईंग बिजनेस में प्रस्तावित सुधारों के सफल क्रियान्वयन के फलस्वरूप स्टेट जी.एस.डी.पी. के 2 प्रतिशत अतिरिक्त ऋण सीमा का लाभ उठाने वाले प्रथम पाँच राज्यों में भी मध्यप्रदेश एक राज्य रहा है।

(साभार जनसंपर्क विभाग मप्र)

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