डार्क वेब का काला सच, जहां हथियार, ड्रग्स के व्यापार के साथ ही होता है Live मर्डर

आज हम डार्क वेब के बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं कि यह कितना खतरनाक है। इसपर किसी का भी कंट्रोल नहीं है। पढि़ए और अपन नॉलेज बढ़ाइए। बायलाइन24.कॉम टीम

डार्क वेब एक ऐसी जगह के रूप में पनपता है जहां गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। जिनमें ड्रग्स, अवैध वित्तीय और चाइल्ड पोर्नोग्राफी, लाइव मर्डर, मानव अंगों की तस्करी, बायोलॉजिकल एक्सपेरिमेंट्स तक शामिल हैं। डार्क वेब पर मौजूद वेबसाइट्स का यूआरएल काफी अलग होता है। इन वेबसाइट्स का डोमेन नेम भी .onion होता है डार्क वेब पर हैकर्स की कोई कमी नहीं है।

डार्क वेब इंटरनेट कि वह काली दुनिया है जहां दुनिया भर के गैर कानूनी काम होते हैं। इंसानों पर अत्याचार, वेबसाइट को हैक करना या फिर ड्रग की स्मलिंग यह सबकुछ डार्क वेब पर होता है। एक कमरा जो रेड रूम के नाम से जाना जाता है, जहां इंसानों को टार्चर किया जाता है। उन्हें मारा जाता है, पीटा जाता है। यहां तक की ड्रग्स भी दिया जाता है और फिर उनका मर्डर कर दिया जाता है। कुछ लोग पैसे देकर डार्क वेब पर उनपर होते टार्चर को लाइव देखते हैं। उसका आनंद उठाते हैं। उसे तड़पते हुए देखना इन लोगों को मजेदार लगता है। फेलिक्स गेम्ज़ गार्सिया और बरनबास गेमज़ कास्त्रो इस वीडियो के अंदर अमेरिका के अंदर ड्रग स्मगल करने की बात करता है और यही उसका काम है। फिर वो अंजान शख्स इन दोनों से कुछ सवाल पूछता है जिसके जवाब में दोनों कहते हैं कि हम 320 ड्रग्स पैकेट इराक के के अंदर लेकर आए हैं। फिर जैसी ही वो दोनों अपनी बात समाप्त करते हैं उनका गला काट दिया जाता है। जिसे हम यहां दिखा नहीं सकते। ये वीडियो डार्क वेब से ही वायरल होना शुरू हुई थी।

जिस इंटरनेट को हम जानते हैं या इस्तेमाल करते हैं वह संपूर्ण वेब का सिर्फ 4% हिस्सा है बाकी का 96 फ़ीसदी हिस्सा पूरी तरह से छुपा हुआ है जिसे हम डार्क वेब या डार्क नेट के नाम से जानते हैं डार्क वेब इंटरनेट कि वह काली दुनिया है जहां दुनिया भर के गैर कानूनी काम होते हैं लेकिन या डार्क वेब का पूरा सच नहीं है असल में यह हमारी सोच से कहीं ज्यादा भयावह और रहस्यमई।

डार्क वेब का साइज लगातार बढ़ रहा है। 2001 में की गई यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के रिसर्च के मुताबिक 7 हजार 500 टेराबाइट की जानकारी उपलब्ध है। जबकि सर्फेस वेब पर उपल्बध सारी जानकारी मिलाकर सिर्फ 19 टेराबाइट की इंफॉर्मेशन ही है। मतलब ये संख्या चार सौ गुणा ज्यादा है।

वास्तव में डार्क वेब क्या है?

डार्क वेब को जानने से पहले आपको वर्ल्ड वाइड वेब यानी डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू के बारे में समझना होगा। वर्ल्ड वाइड वेब दरअसल एक विश्वस्तरीय डिजिटल लाइब्रेरी है जहां दुनियाभर के इंफॉर्मेशन न्यू मॉडल्स के रूप में मौजूद हैं। वर्ल्ड वाइड वेब को मोटे तौर पर दो भागों में बांटा गया है पहला सर्फेस वेब और दूसरा डीप वेब। सर्फेस वेब में मौजूद जानकारी को सर्च इंजन द्वारा आसानी से खोजा जा सकता है। साथ ही गूगल क्रोम जैसे किसी भी नॉर्मल ब्राउज़र से एक्सेस किया जा सकता है। गूगल, फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और यूट्यूब जैसे करोड़ों वेबसाइट इसी सर्फेस वेब में मौजूद हैं। लेकिन डीप वेब का एक अंधकारमय हिस्सा ऐसा भी है जो बेहद रहस्यमय है। जिसे हम डार्क वेब, डार्क नेट या ब्लैक वेब के नाम से जानते हैं। अगर सरल भाषा में कहें तो डार्क वेब इंटरनेट का वह हिस्सा है जिसे Google जैसे पारंपरिक सर्च इंजन के माध्यम से एक्सेस नहीं किया जा सकता है। डार्क वेब पर मौजूद किसी भी चीज़ को इंटरनेट सर्च में नहीं देखा जा सकता है। इससे अपनी पहचान गुप्त रखने में मदद मिलती है। डार्क वेब, वेब का ही एक हिस्सा है जो एक व्यापक रूप से काम करता है जिसमें आपके बैंक स्टेटमेंट जैसी चीजें भी शामिल हैं जो ऑनलाइन उपलब्ध हैं लेकिन सामान्यीकृत इंटरनेट खोजों में नहीं ढूंढी जा सकती। डार्क वेब उपयोगकर्ता नियमित वेब को सर्फेस वेब के रूप में संदर्भित करते हैं।

 

 

डार्क वेब का उपयोग कैसे किया जाता है?

डार्क वेब अज्ञात नेटवर्क के माध्यम से उपयोग किया जाता है। इस दिशा में सबसे चर्चित टीओआर ब्राउज़र का इस्तेमाल डार्क वेब तक पहुंचने में किया जा सकता है , जिसे शार्ट में दी अनियन रिंग भी कहा जाता है। यह एक मुफ्त सॉफ्टवेयर है जो उपयोगकर्ता इंटरनेट से गुमनाम रूप से डार्क वेब पर डाउनलोड करते हैं। 1990 के मध्य में संयुक्त राज्य अमेरिका के नौसेना अनुसंधान प्रयोगशाला के कर्मचारियों द्वारा अमेरिकी खुफिया संचार को ऑनलाइन संरक्षित करने के लिए विकसित किया गया। चूंकी ब्राउज़र से ट्रैफ़िक गंतव्य स्थल तक पहुंचने से पहले प्याज की तरह कई परतें बनाता है इसलिए इसे अनियन रिंग के नाम से भी जाना जाता है।

 

 

फरवरी 2016 में, ‘क्रिप्टोपॉलिटिक एंड द डार्कनेट’ नामक एक अध्ययन में, किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं डैनियल मूर और थॉमस रिड ने अपनी सामग्री का विश्लेषण करने के लिए टीओआर नेटवर्क के एक हिस्से को पांच सप्ताह की अवधि के लिए खंडित किया। जहां 2,723 वेबसाइटों में से 1,547-  यानी 57 प्रतिशत – ड्रग से जुड़े(423 साइटों, अवैध पार्नोग्राफी(122) और हैकिंग (96) से लेकर अन्य अवैध सामग्री के रूप में वर्गीकृत थे। परिणाम बताते हैं कि टीओआर पर ज्यादातर आपराध से जुड़े वेबसाइटों हैं, जिनमें ड्रग्स, अवैध वित्तीय और चाइल्ड पोर्नोग्राफी, लाइव मर्डर, मानव अंगों की तस्करी, बायोलॉजिकल एक्सपेरिमेंट्स तक शामिल हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार नेटफ्लिक्स जैसी स्ट्रीमिंग साइटों के लॉग-इन विवरणों को  सस्ते दरों पर डार्क वेब मार्केटप्लेस पर बेचे जा रहे थे। सबसे बदनाम डार्क वेब मार्केटप्लेस में से एक सिल्क रोड था, जिसे अवैध रूप से ड्रग्स बेचने के लिए जाना जाता था जिसका अंततः एफबीआई द्वारा भंडाफोड़ किया गया था।

 

 

डार्क वेब का दूसरा पहलू क्या  है?

इस नेटवर्क का उपयोग एक्टिविस्टों द्वारा किया जाता है, विशेष रूप से उनके द्वारा जो बिना किसी सरकारी सेंसरशिप के संवाद करना चाहते हैं।  टीओआर नेटवर्क का उपयोग एक्टिविस्टों द्वारा अरब स्प्रिंग के दौरान किया गया था। ऐसी भी जानकारी है कि चीनी नागरिकों द्वारा इसका उपयोग किया जाता रहा  है। यह शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए बड़ी वर्चुअल लाइब्रेरी का भी काम करता है।

लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियां ​​डार्क वेब से कैसे निपटती हैं?

पश्चिमी देशों में अपराधियों को पकड़ने के लिए कम्युनिकेशन को डिक्रिप्ट करने पर एक बहस चल रही है, जिसका एक्टिविसिटों द्वारा विरोध किया गया है क्योंकि यह सभी के डेटा को जोखिम में डाल सकता है। साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में कुछ एफबीआई अधिकारी डार्क वेब पर अंडरकवर हो जाते हैं ताकि वहां चल रही अवैध गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। भारत में भी पिछले कुछ वर्ष में ऐसे मामले सामने आए थे जब चेन्नई और मुंबई में LSD को डार्क वेब का उपयोग करते हुए पासवर्ड से खरीदा गया था। उस वक्त एंटी नारकोटिक्स सेल ने कहा था कि, “यह सच है कि एलएसडी जैसी दवाओं के मामले में डार्क नेट एक बड़ा आपूर्तिकर्ता है। पिछले साल एक मामले में, जहां मुंबई के पांच छात्रों को पकड़ा, उन्होंने डार्क वेब के जरिए 70 लाख रुपये के 1,400 एलएसडी डॉट्स खरीदे थे। इनमें से अधिकांश की गिरफ्तारी पार्सल डिलीवर होने के बाद ही होती है। ड्रग सप्लाई, हथियारों की आपूर्ति या मानव तस्करी के विशेषज्ञ इन कार्टेलों के डार्क वेब सिंडिकेट को तोड़ना बहुत मुश्किल है।

 

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अन्य अपराधों की तुलना में डार्क नेट को अधिक चुनौतीपूर्ण क्यों माना जाता है?

 

सबसे महत्वपूर्ण कारण है कि डार्क वेब एक ऐसी जगह के रूप में पनपता है जहां गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय कार्टेल उन दुकानों की तरह काम करते हैं जहां आप ड्रग्स, हथियार, चाइल्ड पोर्नोग्राफी वीडियो खरीद सकते हैं, और इसे लोगों को अपने नेटवर्क में आने के लिए कई तरह से गार्ड भी किया जाता है। एक कार्टेल में प्रवेश करने के लिए सिंडिकेट पहले आपको कुछ भुगतान करने के लिए कहता है। यह एक समय लेने वाली प्रक्रिया भी है और कई बार आपको आंतरिक सर्कल में प्रवेश की अनुमति देने से पहले एक साल तक का समय लग सकता है। नियमित पुलिसिंग की तरह जहां आपको नेटवर्क की आवश्यकता होती है, डार्क वेब पर भी आपको सफल बनाने के लिए वेब को ट्रॉवेल करने के लिए विशेष रूप से समर्पित एक सेल की आवश्यकता होती है। कुछ पश्चिमी देशों में उदाहरण के लिए अधिकारियों को अंडरकवर किया जाता है ताकि वे पीडोफाइल के रूप में सामने आएं और नेटवर्क का उपयोग करने के जरिए अंततः उन्हें तोड़ सकें।

 

डार्क वेब पर मौजूद वेबसाइट्स का यूआरएल काफी अलग होता है। इन वेबसाइट्स का डोमेन नेम भी .onion होता है डार्क वेब पर हैकर्स की कोई कमी नहीं है। एक ढूंढोगे तो हजार मिलेंगे। दरअसल यहां हैकर्स यहां हर वक्त सक्रिय रहते हैं जो मौका मिलते हैं आपके कंप्यूटर का सारा डाटा एक झटके में उड़ा सकते हैं। जब तक आप सही उद्देश से लेकर चल रहे हैं तब तक आप डीप वेब में है। और डीप वेब को एक्सेस करना गैरकानूनी नहीं है। लेकिन जैसे ही आप किसी गलत और गैर कानूनी काम में लिप्त होते हैं, समझिए आप डार्क वेब में पहुंच चुके हैं जोकि गैर कानूनी है। यानी कि डीप वेब और डार्क वेब के बीच कोई बाउंड्री लाइन नहीं है जो आपको बताये कि ये डीप वेब है और यह डार्क वेब। असल में डार्क वेब भी डीप वेब का हिस्सा है जो अपराध और गैरकानूनी कार्यो के लिए इस्तेमाल होता है। इसलिए अपने विवेक से काम लें।

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