कोर्ट ने नेटफ्लिक्स के ‘क्राइम स्टोरीज़: इंडिया डिटेक्टिव्स’ सीरीज के पहले एपिसोड पर रोक लगाई
नई दिल्ली: ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स को झटका देते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने वेब सीरीज- क्राइम स्टोरीज़: इंडिया डिटेक्टिव्स के पहले एपिसोड पर रोक लगा दी है.
बार एंड बेंच के मुताबिक बीते शुक्रवार को जस्टिस बीएम श्याम प्रसाद ने 54 वर्षीय निर्मला चंद्रशेखर की हत्या के मामले में 28 वर्षीय सह-आरोपी श्रीधर राव द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वेब सीरीज का पायलट एपिसोड ‘अ मर्डर्ड मदर’ प्रसारित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इससे ‘याचिकाकर्ता का उत्पीड़न’ होता है.
राव ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि संबंधित एपिसोड में उनके और हत्या के शिकार की बेटी अम्रुथा चंद्रशेखर, जो इस मामले में एक आरोपी भी हैं, के खिलाफ पुलिस जांच के दृश्य शामिल हैं.
उन्होंने तर्क दिया कि यह एपिसोड उनके बचाव में हस्तक्षेप करेगा, क्योंकि इसमें जांच के दौरान रिकॉर्ड किए गए एक साक्षात्कार के दृश्य और एक कथित स्वीकारोक्ति के फुटेज शामिल हैं.
राव ने कहा कि अगर इस एपिसोड को स्ट्रीम करने की अनुमति दी जाती है, तो इस तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई के उनके अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
याचिका में कहा गया है, ‘नेटफ्लिक्स हिरासत में पूछताछ, हिरासत में लिए गए साक्षात्कार और जांच के दौरान पुलिस द्वारा दिए गए अपमानजनक बयान पर मिन्नो फिल्म्स लिमिटेड द्वारा की गई याचिकाकर्ता की रिकॉर्डिंग को इस तरह से स्ट्रीम कर रहा है, जो कानून के खिलाफ है.’
उन्होंने कहा कि इस तरह की सामग्री ने याचिकाकर्ता की निजता का भी उल्लंघन किया है और उसे जनता द्वारा ‘उपहास और उत्पीड़न’ के लिए सामने ला दिया है.
प्राथमिक आरोपी अम्रुथा पर आरोप है कि उन्होंने राव के साथ अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भागने से पहले अपनी मां को मार डाला और अपने भाई को मारने का प्रयास किया था.
याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए जस्टिस प्रसाद ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि ऐसी सामग्री जनता के लिए सार्वजनिक कर दी गई है, जिसके चलते याचिकाकर्ता का उत्पीड़न हो सकता है और उन्हें पूर्वाग्रह की नजर से देखे जान की संभावना है.
इस आधार पर कोर्ट ने नेटफ्लिक्स को निर्देश दिया गया कि वे अगले आदेश तक ‘क्राइम स्टोरीज़: इंडिया डिटेक्टिव्स’ के पहले एपिसोड ‘ए मर्डर्ड मदर’ के प्रसारण पर रोक लगाएं.
इससे पहले राव ने मामले पर अंतरिम रोक लगाने के लिए सिविल कोर्ट का रुख किया था, लेकिन न्यायालय ने उनकी इस मांग को ठुकरा दिया था. हालांकि कोर्ट ने इसे लेकर जांच एजेंसी को समन जारी किया था.
इस बीच याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को रुख किया. हाईकोर्ट ने सिविल कोर्ट के आदेश को पलटते हुए कहा कि अंतरिम आदेश जारी करने में देरी करना उचित नहीं है और बिना किसी राहत के चलते याचिकाकर्ता के हित प्रभावित होते हैं.
हाईकोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को करेगा, तब तक संबंधित एपिसोड पर रोक लगी रहेगी.
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