‘मैं ऐसे सर्कस का हिस्सा नहीं’: वर्चुअल सुनवाई में आई बाधा, जज ने अफसरों को लगाई फटकार

पश्चिम बंगाल में एक केस की वर्चुअल सुनवाई के दौरान तकनीकी गड़बड़ी की वजह से एक जज इतने नाराज हुए कि न सिर्फ उन्होंने अधिकारियों को खूब फटकार लगाई, बल्कि कारण बताओ नोटिस तक जारी कर दिया। कलकत्ता उच्च न्यायालय के जज सब्यसाची भट्टाचार्य ने शुक्रवार को तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से वर्चुअल सुनवाई बाधित होने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और वर्चुअल सुनवाई वाले सेटअप के प्रभारी परियोजना समन्वयक ( सेंट्रल प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर) को नोटिस जारी किया। नोटिस में यह पूछा गया कि प्रशासनिक पक्ष को लेकर प्रोजेक्ट के समन्वयक और हाईकोर्ट के अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं की जानी चाहिए।

न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य ने कहा कि तकनीकी गड़बड़ियां अब रोज का किस्सा हो गईं हैं और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह अदालत उचित रूप से न्याय सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम आभासी सेवाएं और कनेक्टिविटी प्रदान करने में भी असमर्थ है। जज ने केंद्रीय परियोजना समन्वयक को शुक्रवार को दोपहर 3 बजे तक अपना जवाब उनके कक्ष में भेजने का आदेश दिया था, क्योंकि अदालत तब तक बैठने में असमर्थ थी जब तक कि कनेक्टिविटी के मुद्दे पूरी तरह से हल नहीं हो जाते।

न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने अपने आदेश में कहा कि यह यहां रिकॉर्ड भी किया जा सकता है कि तकनीकी गड़बड़ी एक डेली की रूटीन बन गई है और मुझे शर्म आती है कि हमारे सम्मानित उच्च न्यायालय, जिसका एक शानदार इतिहास है, को इस तरह से महत्वहीन किया जा रहा है कि हम केवल कनेक्टिविटी मुद्दों के कारण बड़े पैमाने पर वादियों को न्याय नहीं दे सकते हैं। जज ने आगे कहा कि मैं स्पष्ट रूप से इस तरह के सर्कस का हिस्सा बनने से इनकार करता हूं, क्योंकि मैंने उन वादियों को न्याय देने की शपथ ली है, जो अदालत कक्षों के बाहर हैं, न्यायाधीशों के लिए बने वातानुकूलित (एसी) कमरों की पहुंच से बाहर हैं और धूप व धूल में बाहर मेहनत कर रहे हैं।

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