हे भगवान; इतना कठोर निर्णय, एक बेटी की गुहार भी नहीं की स्वीकार

-खबर इसलिए जरूरी कि अस्पताल संचालक हो रहे निर्दयी
-समय पर ब्लैक फंगस के इंजेक्शन मिल जाते तो बच जाती जान
-अब भी बड़ी संख्या में मरीज अस्पताल में हैं भर्ती, उनकी सुध ले सरकार

 

राजेश शुक्ला। …आज मैं हताश हूं, बेहद निराश हूं और मन मेरा निशब्द है, ह्दय विचलित है। आत्मा मेरी उस परिवार के साथ है, जिससे मैं दिल से जुड़ गया। मैंने सोचा नहीं था कि उस परिवार के एक मित्र के मदद मांगने पर मैं जुड़ता ही चला जाउंगा। जब बेटी रेनू पिता राजकुमार शर्मा की सबसे पहले खबर मैंने पिक की तो यह मैंने आम खबरिया दृष्टि से ही देखी, लेकिन जब मैंने इस परिवार की निस्वार्थ भाव से मदद कर रहे युवाओं के एक समूह को देखा तो बिना अपनी अनुमति के मैं उनके साथ हो लिया। यद्यपि एक पत्रकार को किसी खबर से सिर्फ उतना ही सरोकार होना चाहिए कि वह अखबार में प्रकाशित हो जाए और उस दिन का अंक अगले दिन की नई डेटलाइन का इंतजार कर सके। बहराहल यह स्टोरी एक राजकुमार शर्मा की नहीं है। यह दास्तां है ब्लैक फंगस और कोरोना वायरस से पीडि़त उन लोगों की जो अब इस दुनिया से फानी हो चुके हैं, या फिर वे मरीज जो अस्पतालों की बीमार व्यवस्था के ठीक होने का इंतजार कर रहे हैं।

 

25 मई को मैंने मप्र के ग्वालियर में आरजेएन अपोलो में भर्ती ब्लैक के फंगस शिकार 51 साल के राजकुमार शर्मा निवासी डीडी नगर स्थित शताब्दीपुरम की स्टोरी उनकी 19 साल की बेटी रेनू और उसके मामा गिर्राज शर्मा व उनके मित्र अर्जुन सिंह के हवाले से सबसे पहले कवर की थी। जान बचाने की गुहार लगाने का वीडियो बेटी के द्वारा सभी पत्रकार साथियों की मदद से सोशल मीडिया पर वायरल करवाया। बेटी ने सीएम शिवराज सिंह चौहान, सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और मंत्री प्रद्युम्र सिंह तोमर से मदद मांगी थी। यही मदद एक्टर सोनू सूद से लगाई गई थी कि उनके पिता को इंजेक्शन मुहैया कराए जाएं।

28 मई से राजकुमार शर्मा की हालात बिगडऩा शुरू हो गई। 29 मई को 75 प्रतिशत दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। 30 मई को अपोलो के डॉक्टर ने परिजनों को बताया कि दिमाग का ऑपरेशन करना पड़ेगा। परिजनों ने कहा-कर दो। परिवार के एक सदस्य ने कहा कि दिमाग में ब्लड क्लॉटिंग यानी खून के थक्के जम गए थे। यही उनकी मौत का कारण साबित हुए। मौत से उनका युद्ध चला लेकिन वे हार गए। पारिवारिक मित्र अर्जुन ने बताया कि अपोलो अस्पताल का 10से 12 लाख रुपए का बिल है। जिसमें से परिजन पूरा दे चुके हैं।

श्री शर्मा की गोहद में ट्रेक्टर एजेंसी है। उनकी 26 अप्रैल को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। कोरोना से ठीक हुए तो उन्हें ब्लैक फंगस हो गया। 16 मई को उन्हे विकास नगर स्थित अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिवार में पत्नी समेत दो बेटी और एक बेटा है। श्री शर्मा का अंतिम संस्कार उनके पैतृक निवास भिंड स्थित अकोड़ा में मंगलवार को कर दिया गया।

 

 

सरकार गंभीरता से एक और बेटी की सुन ले गुहार
अब कोरोना संक्रमण से मां को खो चुके बेटी-बेटे ने अपने पिता को ब्लैक फंगस से बचाने की मुख्यमंत्री, सांसद ज्योतिरााधित्य सिंधिया और ऊर्जा मंत्री प्रभारी प्रदुमन सिंह तोमर से गुहार लगाई है। मरीज का नाम महेन्द्र वशिष्ट (शर्मा) निवासी शिवपुरी है। वे जनक अस्पताल में भर्ती बताए जा रहे हैं। अटेंडर का नाम प्राची शर्मा और सोनू शर्मा है। यह संदेश आज सुबह से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।